नगर स्याना की ऐतिहासिक एवं वाणिज्यिक पृष्ठभूमि-
नगर स्याना में कुचेसर रोड पर रजवाहे के समीप ‘‘श्याम भोज’’ स्थल है जिसके सम्बन्ध में किवदंती है कि यहां भगवान श्री कृष्ण ने रात्रि में ‘‘शयन’’ किया था। ‘शयन’ के कारण ही कालान्तर में इस नगर का नाम स्याना पड़ा। ‘गर्ग संहिता’ के अध्याय-6 में इस नगर का वर्णन ‘शुद्ध श्यान नगर’ के रूप में मिलता है जो इसके पौराणिक व प्राचीन होने का प्रमाण है। यह नगर गंगा तट से 18 किलोमीटर दूर होने के कारण आर्थिक रूप से सम्पन्न व बाढ़ की विभीषिका से दूर रहा है। नगर स्याना में गुड़ व अनाज की प्रसिद्ध मण्डी है, वर्तमान में तीन दूध की डेरियां एवं अन्य लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित हैं। यह क्षेत्र शासन द्वारा ‘फल पटटी’ घोषित है। इस क्षेत्र से आम विदेशों को निर्यात किया जाता है। नगरपालिका परिषद स्याना द्वारा प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2 उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना संख्या-528/43-2-2006 दिनांक 13.4.2006 द्वारा ‘‘ उत्तर प्रदेश सूचना अधिकार (फीस और लागत विनियम) नियमावली-2006 के नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है।